प्यास से व्याकुल चिड़िया रानी
दूर दूर तक ढूंढें पानी
जंगल जंगल और डगर डगर
जल न आये कहीं नजर
उड़कर पंहुची नगर एक
हरषाई जल का पात्र देख
एक मकान की छत पर जल
जीवनरक्षक अमृत सा निर्मल
एक कबूतर करता जल पान
पानी पी चिड़िया के बचे प्राण
एक प्रश्न उसके मन में आया
ये जल इस छत पर कैसे आया?
गर्मी में सूखे सूखे ताल तलैया
पीनेको बूँद बूँद टोटा है भैया
कबूतर ने तब जल की बात बताई
तभी नन्ही सी गुड़िया छत पर आई
देखो चिड़िया ये है अपनी मीना रानी
रोज हमारे लिए यही,कुंडे में भर जाती पानी
बच्चों तुम भी कर लो यह संकल्प अटल
चिड़ियों के लिए छत पर रखना है जल
~सतीश रोहतगी
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