Saturday, May 27, 2023

मैं समन्दर तो नही

 मैं समंदर तो नहीं कि दिल में उठे हर तूफान को सह लूँ


तुम जब हंसकर गैरों से मिलती हो तो मैं परेशान होता हूँ

                                     ~satishrohatgi



Saturday, May 20, 2023

बस यूँ ही

 सुलझाये कौन उसकी व्यथा


भरम के तारों में उलझा जिसका मन हो


कहाँ गए वो सपने आशाएं


सोचते थे ऐसा जीवन हो वैसा जीवन हो 

                 ~satish rohatgi


बस यूं ही

 होने को तो दुनिया में क्या क्या नहीं होता


अपना होकर भी तो कोई अपना नही होता


तजुर्बा नही होता अक्सर चोट खाये बगैर


बस यही सोचकर किसी से शिकवा नही होता

               ~सतीशरोहतगी



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