नरगिसी आँखों पर
सजती दराज पलकें,
नूर के गोहर पे
मिली नजरों की दहक कहीं
सह न पाएं नातवानी ए सब्र
शिद्दत से झुककर करती हैं
इश्क का लिहाज पलकें,
दर्द ए मरिज ए शौक
इसी तौर ही कम हो
उठे तो गोया कर जावें
दिल का इलाज पलकें,
असर दयारे जहन में यूँ
हरकते मिजगाँ का है
जिया ओ तीरगी से सालती
बर्क मिजाज पलकें,
चारागर के पोश में वो
आँखें नशाफ़रोश थीं
एक और ऐब दे गयी हमें
आपकी जालसाज पलकें,
~सतीश रोहतगी
संकेत
दराज पलकें=लम्बी लम्बी पलकें
नूर के गोहर=प्रकाश के मोती
दहक=जलन
नातवानी ए सब्र=सब्र की कमजोरी
लिहाज=शर्म ,हया
दर्द ए मरीज ए शौक=प्रेम के रोगी की पीड़ा
तौर=तरीके से
दयार ए जहन=मन के क्षेत्र
हरकते मिजगाँ=पलकों के इशारे
जिया ओ तीरगी=रौशनी और अँधेरा
सालती=बैचेन करती
बर्क मिजाज=आसमानी बिजली जैसे स्वभाव वाली
चारागर=डॉक्टर
पोश में=वेश में
नशफरोश=नशा बेचने वाली
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#SatishRohatgi
#स्वरांजलि
चित्र--साभार गूगल से