कहमुकरी चार पंक्ति का छंद होता है जिसमें दो सखियों के बीच प्रश्न और उत्तर का खेल होता है।पहली सखी 3 पंक्तियों में किसी वस्तु या विषय के संकेत देती है फिर दूसरी सखी उसका उत्तर देती हैकि हे सखि क्या ये साजन(क्योंकि संकेतों से ऐसा ही आभास होता है) है।तब पहली सखी उसके उत्तर को गलत बताकर मिलता जुलता उत्तर देती है जो पहले दिए गए संकेतों पर सटीक बैठता है।प्रत्येक पंक्ति में 16 मात्राएँ होती हैं।8 मात्रा पर यति उत्तम मानी जाती है।यद्द्यपि कभी कभी 7 मात्रा पर भी स्वीकार्य है।आशा है आपको ये कहमुकरियां पसन्द आएँगी।
1.
नयन समावे,मन हरसावे
विचार नगरी,राज सजावे
होत पराया,लागे अपना
का सखि साजन?ना सखि सपना।
2.
सब रंग बिरंगे,खेल खिलौने
सब जंतर मंतर,जादू टोने
ना बहलावे,कुछ उपचार
का सखि साजन?ना सखि प्यार।
3.
उसको चाहूँ,गले लगाना
गले लगाकर,चैना पाना
उसपे लुटता ,मेरा प्यार
का सखी साजन?नही सखि हार।
4.
राम करें जो,मन के चाहे
देखत कर दूं,आगे बाँहें
उनसे मेरा,मोह का बन्धन
का सखि साजन?नही सखि कंगन।
5.
रात भये उर,से लग जाता
भौर भये तक,तन सहलाता
मन को भावे,सगरी रतिया
का सखि साजन?ना सखि तकिया।
~सतीश रोहतगी
संकेत
उपचार=उपाय
चैना=आराम चैन
भये तक=होने तक
उर=गले,आलिंगन
सगरी रतिया=सारी रात
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