नरगिसी आँखों पर
सजती दराज पलकें,
नूर के गोहर पे
मिली नजरों की दहक कहीं
सह न पाएं नातवानी ए सब्र
शिद्दत से झुककर करती हैं
इश्क का लिहाज पलकें,
दर्द ए मरिज ए शौक
इसी तौर ही कम हो
उठे तो गोया कर जावें
दिल का इलाज पलकें,
असर दयारे जहन में यूँ
हरकते मिजगाँ का है
जिया ओ तीरगी से सालती
बर्क मिजाज पलकें,
चारागर के पोश में वो
आँखें नशाफ़रोश थीं
एक और ऐब दे गयी हमें
आपकी जालसाज पलकें,
~सतीश रोहतगी
संकेत
दराज पलकें=लम्बी लम्बी पलकें
नूर के गोहर=प्रकाश के मोती
दहक=जलन
नातवानी ए सब्र=सब्र की कमजोरी
लिहाज=शर्म ,हया
दर्द ए मरीज ए शौक=प्रेम के रोगी की पीड़ा
तौर=तरीके से
दयार ए जहन=मन के क्षेत्र
हरकते मिजगाँ=पलकों के इशारे
जिया ओ तीरगी=रौशनी और अँधेरा
सालती=बैचेन करती
बर्क मिजाज=आसमानी बिजली जैसे स्वभाव वाली
चारागर=डॉक्टर
पोश में=वेश में
नशफरोश=नशा बेचने वाली
#shayri
#SatishRohatgi
#स्वरांजलि
चित्र--साभार गूगल से
शानदार...
ReplyDeleteBeautiful
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 28 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी अवश्य
ReplyDeleteइस ग़ज़ल को सम्मान देने के लिए आपका आभार
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद
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