Friday, June 6, 2025

अमावस

 आज इतनी पी लूँ कि अहसास ए हवस ना रहे

काश मर जाऊँ कि कोई ख्वाहिश तो बेबस ना रहे

कब तलक करे इंतज़ार कोई घमण्डी चाँद का

जला दी अपनी ही एक ग़ज़ल,घर में अमावस ना रहे

                             ~सतीश रोहतगी

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