आपने देखा होगा कि कोई आवारा कुत्ते/स्ट्रीट डॉग जैसे ही घर के सामने कुछ भोजन की आशा लेकर आता है प्रायः मार भगाया जाता है।कोई कुत्ता जो भोजन के अभाव में दुर्बल होकर एक कोने से में दीवार,झाडी,आदि कि आड़ में पड़ा हुआ न जाने क्यों छिपता सा रहता है।कभी-कभार ही शायद पेटभर खा पाता होगा।उसकी उसी कष्टपूर्ण अवस्था पर कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं।आशा है आपके हृदय तक पंहुचेंगी।पंक्तियाँ इस प्रकार हैं---
अरे श्वान तेरी मौन पीर की
कौन यहाँ सुध लेय
देख कोई लाठी चटकावे
कोई सर पत्थर जड देय,
घर-घर,दर-दर फिरे भटकता
व्याकुल करती भूख
किन्तु हाय धनिक मनुज से
बने न कर्ण बराबर टूक,
अतृप्त क्षुदा अतिरेक घृणा
पाकर भी मानुष से मोह
निरपराध निर्दोष है किन्तु
छिपने ढूंढ्त खोह,
पेट पीठ दोनों एक भये
हुई काया ज्यों कारावास
कौन कर्म का दण्ड पुगाये
नित गाली और उपहास,
कूड़ा-करकट,पत्तों का ढेर
नुक्कड़,नाली और खोह
भूखा-भूखा,पीड़ित-पीड़ित
बस टुकड़े रहता टोह,
(कांटेदेखने का एक अलग नजरिया भी आप पढ़ें)
मुख धरती पर धरे -धरे
जोहता रहता है बाट
सूखे टीकड बासी भाजी
से ही हो जाते ठाठ,
अरे श्वान सन्तोष तेरा
ज्यों सागर में नीर
घृणा गाली चोट झेलता
बांधे रहता धीर,
किस भांति तू रैन गुजारे
चाट -चाट पत्तर-दोने
मिला,मिला,कुछ नही मिला
जा बैठा नुक्कड़ कोने,
ढ़ले दिन द्वारे-द्वारे जाकर
मानव की मानवता नापे
या मनुज की कर्म बही में
उसके कर्मों का लेखा छापे,
( खोखली मुलाकातेंइस दौर को दिखाती हुई ग़ज़ल)
अरे श्वान तेरी भीगी आँखे
कहती पीड़ा का पाठ
भूख जलाती तुझको जैसे
दिन-रात सुलगती काठ,
पूछ हरि से अस्तित्व है
क्यों तेरा खंड -खंड
दुर्लभ तृप्ति सतत हीनता
जीवन है या दण्ड,
अरे श्वान तेरी मौन पीर की
कौन यहाँ सुध लेय
देख कोई लाठी चटकावे
कोई सर पत्थर जड देय
~सतीश रोहतगी
संकेत
श्वान (shwaan)=कुत्ता
कर्ण बराबर टूक=कान के बराबर टुकड़ा
अतृप्त क्षुदा=बिना मिटी भूख
अतिरेक घृणा=बहुत अधिक नफरत
कर्म बही=कर्मों का खाता
काठ=लकड़ी
तृप्ति=सन्तुष्टि
#shayri
gajab
ReplyDeleteधन्यवाद रविन्द्र जी
Deleteबहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
ReplyDeleteआप जैसी विद्वान् से ऐसा प्रोत्साहन पाकर आगे भी अच्छे सृजन की प्रेरणा मिलेगी।
Deleteआभार और धन्यवाद
बहुत ही सुन्दर हृदयस्पर्शी लाजवाब सृजन
ReplyDeleteस्ट्रीट डॉग की व्यथा
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर हृदयस्पर्शी लाजवाब सृजन
ReplyDeleteस्ट्रीट डॉग की व्यथा
वाह!!!
धन्यवाद
Deleteबहुत ही सुन्दर हृदयस्पर्शी लाजवाब सृजन
ReplyDeleteस्ट्रीट डॉग की व्यथा
वाह!!!
आप जैसी काव्य की पारखी के ये शब्द मेरे लिए पारितोषिक के समान हैं हैं।
Deleteधन्यवाद
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआप निश्चिन्त होकर अपने विचार रख सकते हैं।आपको कविता अच्छी लगे या न लगे लेकिन आपका हर कमेंट चाहे वो positive हो या negative ,मेरे लिए अहमियत रखता है।
Deleteधन्यवाद