Saturday, May 20, 2023

बस यूँ ही

 सुलझाये कौन उसकी व्यथा


भरम के तारों में उलझा जिसका मन हो


कहाँ गए वो सपने आशाएं


सोचते थे ऐसा जीवन हो वैसा जीवन हो 

                 ~satish rohatgi


No comments:

Post a Comment

Featured post

मैं समन्दर तो नही

 मैं समंदर तो नहीं कि दिल में उठे हर तूफान को सह लूँ तुम जब हंसकर गैरों से मिलती हो तो मैं परेशान होता हूँ                                  ...