Friday, October 16, 2020

आ रहे हैं वो

 लब-ए-शाम पे मुस्कुराहट है

                    आ रहे हैं वो,

धड़कनों में थरथराहट है

                    आ रहे हैं वो।

वही खुशबु लिए आगोश में

सबा रक्स करती आ गयी

शजरे अँगनाई में सरसराहट है

                    आ रहे हैं वो।

वीरां ओ बन्द कमरों से 

पर्दा-ए-उफ़क़ हट रहा

इंतज़ार में बेकल चोखट है

                     आ रहे हैं वो।

उसकी आँखों से पिएंगे हम

आज न जाम रूबरू लाओ

न साकी न मय की जरूरत है

                       आ रहे हैं वो।

धड़कता दिल तेज सांसे और

आहें बेताब सी उम्मीद की

हर आहट में वो ही आहट है

                        आ रहे हैं वो।

लब-ए- शाम पे मुस्कुराहट है

                         आ रहे हैं वो।

                                 ~सतीश रोहतगी

संकेत

लब-ए-शाम=शाम के होठ

आगोश=आलिंगन

सबा=हवा

रक्स=नृत्य

शजरे अँगनाई=आँगन में लगा पेड़

पर्दा-इ-उफ़क़=अँधेरे की चादर

बेकल=व्याकुल

मय=शराब

     


#shayri

#Kavita

#gazal

#कविता

#ग़ज़ल

#SatishRohatgi             

13 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१७-१०-२०२०) को 'नागफनी के फूल' (चर्चा अंक-३८५७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

    ReplyDelete

  2. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    18/10/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......


    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी आभार

      मुझे सम्मिलित होने में ख़ुशी होगी

      Delete
  3. जी धन्यवाद

    मुझे सम्मिलित होने में ख़ुशी होगी

    ReplyDelete
  4. वाह!!!
    बहुत सुन्दर सृजन।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद sudha devrani जी

      कहते हैं चित्र की सुंदरता देखने वालों की नजर में होती है उसी प्रकार काव्य की सुंदरता पढ़ने वाले की समझ और भावों की परख में छिपी होती है।
      इसलिए एक बार पुनः आभार

      Delete
  5. Replies
    1. धन्यवाद शिवम् कुमार पाण्डेय जी

      Delete
  6. बहुत सुंदर रचना ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद मधुलिका जी

      Delete

Featured post

मैं समन्दर तो नही

 मैं समंदर तो नहीं कि दिल में उठे हर तूफान को सह लूँ तुम जब हंसकर गैरों से मिलती हो तो मैं परेशान होता हूँ                                  ...