Tuesday, April 13, 2021

तमन्ना के परिंदे

 





ओ तमन्ना के परिंदे सुन तुझे अब ठहर जाना चाहिए

वक़्त का अच्छा बुरा नगमा ख़ुशी से गुनगुनाना चाहिए।


ऐब-ओ-सवाब के पलड़े में न हर वक़्त खुद को तोलिये

कभी कभी तो दोस्तों के संग भी पीना पिलाना चाहिए।


वो शाब्दा आँखें ही हैं बिना मय भी सकूँ देती हैं जो

हुस्न वालों से अदब से हमेशा पेश आना चाहिए ।


देखते हुए तस्वीर तेरी अक्सर गुजरती रातें मेरी

हैं नींद की ये शर्त कि तेरा ख़्वाब आना चाहिए।

(youtubeपर "satishrohatgipoetry"पर वीडियो देखें)


इतना भी भला क्या सोचना बह जाये न पानी समय का

कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें फ़ौरन बताना चाहिए।


'रोहतगी' लाख हों मसले मगर दुनियादारी भी कोई चीज है

अचानक कहीं मिल जाएँ ग़र तो मुस्कुराना चाहिए।

                                       ~सतीश रोहतगी

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