लोग काँटों से डरा करते हैं
जाने क्यूँ बेबात गिला करते हैं
पर मुझे इनसे कोई बैर नही
ख़ुशी क़ुबूल गम भी गैर नही
इतने भी बदसूरत नही होते
इन्हें समझने को चाहिए
उपयोगिता की परख,
और एक गहरा नजरिया,
जो बहुत मुश्किल है
है काँटों से अहमियत फूलों की
वो कठोर हैं मानिंद उसूलों की
टूट सकते हैं ,झुकते नही हैं
होकर भी छुपे छुपे से रहते है
हर लम्हा मुझसे कहते हैं
भुला दे तंज जमाने के सभी
कब तलक दिल पे बोझ रखेगा
हद से बाहर अच्छी नही मंजिल की फ़िक्र
पंहुचेगा गर इक कदम भी रोज रखेगा
हमने झेले हैं नजरों से झलकते ताने
और सूरत पे तग़ाफ़ुल से उचकते शाने
होने को भी अनहोना सा बना देते हैं
फूलों की महक में डूबे लोग
हम काँटों को बेवजह सा बना देते हैं
भूल जाते हैं फूलों की बदौलत
लोग चोरी के इरादे से मिला करते हैं
कांटे ही बचाते हैं आशियाने को
और हमसे ही अहबाब गिला करते हैं
संकेत
मानिंद=भांति
तग़ाफ़ुल=उपेक्षा
शाने=कन्धे
अहबाब=दोस्त,मित्र,शुभचिंतक
#shayari
#kavita
#कविता
#हिंदी_कविता
#SatishRohatgi
विशेष-सभी चित्र साभार गूगल से
हमने झेले हैं नजरों से झलकते ताने
ReplyDeleteऔर सूरत पे तग़ाफ़ुल से उचकते शाने
वाह!!!
क्या बात ....
काँटों की अहमियत बताती जिन्दगी की उलझनों को स्वीकार कर धीरे धीरे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती लाजवाब कृति।
ReplyDeleteधन्यवाद
आप जैसे लोगों की प्रेरणा से ही लिखना शुरू किया है।आपकी शुबकामनाओं का आकांक्षी
Bahut he unexpected ne realistic likha h
ReplyDeleteशुक्रिया
DeleteWah wah mzaa agya. .ek dum mast
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 28 सितंबर 2020) को "बेटी दिवस" (चर्चा अंक-3838) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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-रवीन्द्र सिंह यादव
हृदय की गहराइयों से आपका आभार
Deleteआप जैसे साहित्यविद् का मार्गदर्शन ऐसे ही प्राप्त होते रहने की आशा रखता हूँ ।
बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteउत्साहवर्धन के लिए आभार
सुन्दर
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिए हृदय की गहराइयों से आपका आभार
Deleteसुन्दर रचनाओं से परिपूर्ण ब्लॉग - - नमन सह।
ReplyDeleteदिल से शुक्रिया सर
Deleteबेहतरीन सृजन अनुज हमने आपकी रचना चर्चा पर प्रस्तुत की आप पधारे नहीं ।
ReplyDeleteसादर
मुझे अभी ब्लॉग के सभी फीचर्स का पता नही है।मुझे ब्लॉग पर आये एक महीना ही हुआ है।मेरे प्रोफाइल पर भले ही अप्रैल 2016 दिख रहा है।
Deleteमुझे उसे भी सही करना अभी समझ नही आया और चर्चा में कैसे शामिल होते हैं ये भी अभी नही आता।
आपने जो सहयोग और उत्साहवर्धन दिया उसके लिए हृदय की गहराइयों से आभार करता हूँ।इस विषय में पूरी जानकारी करके अगली बार कभी अवसर मिला तो अवश्य सम्मिलित होऊंगा।
मेरे न आने के लिए सभी महानुभावों से क्षमा चाहता हूँ।