Sunday, September 13, 2020

रेत पर लिखा नाम

 रेत पर लिखा जो नाम है,जीने का सहारा है

हकीकत में गैर का है वो,ख़ाबों में हमारा है


उसके सिवा पहलु में कोई चेहरा नही था

याद आता है इस शहर में कोई मेरा नही था

पर आज किसी साये ने,पीछे से पुकारा है

कोई हमसा ही दीवाना है,या वक्त का मारा है


कई बार हमारे पास से गुजरी है जिंदगी

एक बार मुस्करा के हरदम गयी चली

मोती कांच के टुकड़े थे,जिन्हें पलकों से सँवारा है

जो मेरी आँख की सुर्खी है,ये दर्द तुम्हारा है



तन्हाई में देखता हूँ अपनी लकीरों को

और रह-ए-जिंदगी में चलते राहगीरों को

एक जाल है रस्तों का उलझन में गुजारा है

कोई हार के जीता है कोई जीत के हारा है


दुनिया के रुख को दोस्तों समझ सके न हम

किस बात पे हैरां हो कब करने लगे सितम

लोगों की सवाली आँखों को,हँस हँस के गँवारा है

कुछ यूं कर हमने जिंदगी का,कुछ कर्ज उतारा है


 रेत पे लिखा जो नाम है,जीने का सहारा है

हकीकत में गैर का है वो,ख़ाबों में हमारा है

                                              ~सतीश रोहतगी



#shayri

#शायरी

#कविता

#kavita

#ग़ज़ल

#gazal

#SatishRohatgi

#स्वरांजलि

ये खूबसूरत शेर भी पढ़िए





3 comments:

Featured post

मैं समन्दर तो नही

 मैं समंदर तो नहीं कि दिल में उठे हर तूफान को सह लूँ तुम जब हंसकर गैरों से मिलती हो तो मैं परेशान होता हूँ                                  ...